Bachchon Ki Nayi Kahani - रामु - सामु की कहानी
Bachchon Ki Nayi Hindi Kahani - रामु - सामु की कहानी
Bachchon Ki Nayi Hindi Kahani - रामु - सामु की कहानी: किसी गांव में दो मित्र रामु और सामु रहते थे। एक बार रामु के मन में एक विचार आया कि क्यों न मैं अपने मित्र के साथ दूसरे देश जाकर धन कमाउ। बाद में किसी न किसी युक्ति से उसका सारा धन ठग-हड़प कर सुख-चैन से पूरी जिंदगी जीऊँगा। इसी नियति से रामु ने सामू को धन और ज्ञान प्राप्त होने का लोभ देते हुए अपने साथ बाहर जाने के लिए राजी कर लिया।
सही समय देखकर दोनों मित्र एक अन्य शहर के लिए रवाना हुए। जाते समय अपने साथ बहुत सा माल लेकर गये तथा मुँह माँगे दामों पर बेचकर खूब धनोपार्जन किया। अंततः प्रसन्न मन से गाँव की तरफ लौट गये।
गाँव के निकट पहुँचने पर रामु ने सामु को कहा कि मेरे विचार से गाँव में एक साथ सारा धन ले जाना उचित नहीं है। कुछ लोगों को हमसे ईष्या होने लगेगी, तो कुछ लोग कर्ज के रुप में पैसा माँगने लगेंगे। संभव है कि कोई चोर ही इसे चुरा ले। मेरे विचार से कुछ धन हमें जंगल में ही किसी सुरक्षित स्थान पर गाढ़ देनी चाहिए। अन्यथा सारा धन देखकर सन्यासी व महात्माओं का मन भी डोल जाता है।
सीधे-साधे रामु ने पुनःसामु के विचार में अपनी सहमति जताई।वहीं किसी सुरक्षित स्थान पर दोनों ने गड्ढ़े खोदकर अपना धन दबा दिया तथा घर की ओर प्रस्थान कर गये।
बाद में मौका देखकर एक रात रामु ने वहाँ गड़े सारे धन को चुपके से निकालकर हथिया लिया।कुछ दिनों के बाद रामु ने सामु से कहा: भाई मुझे कुछ धन की आवश्यकता है। अतः आप मेरे साथ चलिए।सामू तैयार हो गया।जब उसने धन निकालने के लिए गड्ढ़े को खोदा, तो वहाँ कुछ भी नहीं मिला। रामु ने तुरंत रोने-चिल्लाने का अभिनय किया। उसने सामु पर धन निकाल लेने का इल्जाम लगा दिया। दोनों लड़ने-झगड़ते न्यायाधीश के पास पहुँचे।
न्यायाधीश के सम्मुख दोनों ने अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत किया। न्यायाधीश ने सत्य का पता लगाने के लिए दिव्य-परीक्षा का आदेश दिया।
दोनों को बारी-बारी से अपने हाथ जलती हुई आग में डालने थे। रामु ने इसका विरोध किया उसने कहा कि वन देवता गवाही देंगे। न्यायधीश ने यह मान लिया। रामु ने अपने बाप को एक सूखे हुए पेड़ के खोखले में बैठा दिया। न्यायधीश के पूछे जाने पर आवाज आई कि चोरी सामु ने की है।
तभी सामु ने पेड़ के नीचे आग लगा दी। पेड़ जलने लगा और उसके साथ ही रामु का बाप भी, वो बुरी तरह रोने-चिल्लाने लगा। थोड़ी देर में रामु का पिता आग से झुलसा हुआ उस वृक्ष की जड़ में से निकला। उसने वनदेवता की साक्षी का सच्चा भेद प्रकट कर दिया।
न्यायाधीश ने रामु को मौत की सजा दी और सामु को उसका पूरा धन दिलवाया ।
सीख : छल का परिणाम दुष्परिणाम होता है! अपनो से!
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